हिन्दू एवं ग्रंथों के अनुसार कुनाल सम्राट अशोक के पुत्र थे और उन्हें भारतीय इतिहास में उनके संघर्षपूर्ण जीवन के लिए जाना जाता है। उनका जीवन त्रासदी, वीरता और धैर्य का प्रतीक है।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
कुनाल का जन्म सम्राट अशोक और रानी पद्मावती के पुत्र के रूप में हुआ था। उनके बचपन का अधिकांश समय पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में बीता। कहा जाता है कि वे सुंदर, बुद्धिमान और पराक्रमी थे।
अंधत्व और षड्यंत्र वाले प्रसंग
ऐसी मान्यता है कि सम्राट अशोक की एक अन्य रानी तिष्यरक्षिता, जो अशोक की प्रिय थी, ने कुनाल के प्रति ईर्ष्या रखती थी। जब अशोक बौद्ध धर्म की ओर अधिक झुक गए और अपनी शक्तियों को अपने अधिकारियों को सौंप दिया, तब तिष्यरक्षिता ने एक षड्यंत्र रचा।
एक दिन तिष्यरक्षिता ने सम्राट अशोक के नाम से आदेश जारी करवाया कि कुनाल की आँखें निकाल ली जाएँ। आदेश पाकर अधिकारियों ने इसे राजा की आज्ञा मानते हुए कुनाल की आंखों को फोड़कर अंधा बना दिया। जब अशोक को इस घटना का पता चला, तो वे अत्यंत दुखी हुए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
संघर्ष और तप
अंधा हो जाने के बाद कुनाल ने भीख मांगकर जीवन व्यतीत किया था। कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया था, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने साहस और आत्मबल को नहीं खोया।
सिंहासन वापसी और उत्तराधिकार
कुछ कथाओं अनुश्रुतियों के अनुसार, कई वर्षों बाद जब सम्राट अशोक का शासन कमजोर पड़ने लगा, तो कुनाल ने अपनी बुद्धिमत्ता और पराक्रम से सिंहासन प्राप्त करने की कोशिश की। हालांकि, उन्हें आधिकारिक रूप से सम्राट बनने का अवसर नहीं मिला, लेकिन उनके पुत्र साम्राट ने आगे चलकर मौर्य साम्राज्य का नेतृत्व किया।
निष्कर्ष
कुनाल का जीवन संघर्ष, धैर्य और त्याग की मिसाल है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी व्यक्ति को अपने आत्मबल को बनाए रखना चाहिए। उनकी कहानी भारतीय इतिहास में वीरता और करुणा का प्रतीक बनी हुई है।
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